कोविड महामारी अब `लीवर’ को भी लपेट रही है!

मुंबई, कोविड अभी तक केवल श्वसन और दिल के लिए घातक माना जा रहा था। हालांकि मनपा द्वारा संचालित बीवाईएल नायर अस्पताल के एक नए अध्ययन से पता चला है कि महामारी अब `लीवर’ को भी लपेट रही है। अनुसंधान में यह जानकारी सामने आई है कि ४६ फीसदी मरीजों के यकृत असामान्य हो गए हैं। इसके पीछे मुख्य कारण महामारी के शुरुआती दिनों में प्रायोगिक और संभावित खतरनाक दवाओं का अत्यधिक उपयोग के साथ ही ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होना बताया गया है।
ज्ञात हो कि मुंबई में मार्च २०२० में कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी। पहली लहर शुरू होते ही मुंबई मनपा ने बिना देर किए मुंबई सेंट्रल स्थित नायर अस्पताल को कोविड मरीजों का इलाज करने के लिए समर्पित कर दिया था। फिलहाल कोरोना महामारी पूरी तरह से कंट्रोल में आ गई है। ऐसे में नायर अस्पताल पूरी क्षमता के साथ शुरू है। बताया गया है कि गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने कुल ३,२८० में से १,४७४ लोगों की जांच रिपोर्ट का पूर्वव्यापी अध्ययन किया और पाया कि लीवर फंक्शन की असामान्यताओं वाले रोगी अधिक थे। इसके चलते ऐसे मरीजों में गंभीर बीमारियां होने के साथ ही मौत होने की संभावना अधिक हो जाती है। स्टडी में यह भी जानकारी सामने आई है कि महामारी के चलते विक्षिप्त लीवर फंक्शन टेस्टवाले लोगों में मृत्यु दर २८ फीसदी से काफी अधिक थी।
नायर अस्पताल के डीन व गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण राठी के अनुसार इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि ८ फीसदी तक रोगियों में लीवर को भारी क्षति पहुंची है। इनमें ४.३ फीसदी लोगों में यह समस्या भर्ती होते समय दिखी। अध्ययन में १,४७४ रोगियों के नमूनों के हुए परीक्षण में से ६८१ में लीवर असामान्य दिखे, जबकि ७९३ में सामान्य स्तर रहा। असामान्य लीवर फंक्शन टेस्ट वाले समूह में शामिल कुल मरीजों में से २८ फीसदी की मौत हुई है। इसकी तुलना में सामान्य लीवर फंक्शन टेस्ट वाले समूह में मौत का मामला १३ फीसदी रहा।
नायर अस्पताल के डॉक्टरों ने रोगियों द्वारा ली जानेवाली दवाओं के प्रोफाइल का अध्ययन किया। इसमें एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल की एक शृंखला के लिए अप्रमाणित आयुर्वेद दवाओं का अंधाधुंध उपयोग पाया गया। अध्ययन में पाया गया कि शुरुआत में कोविड-१९ के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में शामिल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, कम आणविक भार हेपरिन और आइवरमेक्टिन विक्षिप्त लीवर वाले कई लोगों में पाई गर्इं। इसके साथ ही मिथाइलप्रेडनिसोलोन, टोसिलिजुमैब, एंटीवायरल जैसे रेमेडिसविर, फेविपिरविर और लोपिनवीर-रिटनोविर दवाएं असामान्य लीवर के कारक हैं। ()