ऊष्माघात के शिकार लोगों की संख्या १०० के पार

मुंबई,  जून का आधा महीना खत्म हो गया है, फिर भी भयंकर गर्मी की मार सहनी पड़ रही है। बारिश तो लंबी खिंच ही गई है लेकिन इससे ऊष्माघात की भयंकर लहर के कारण उत्तर के राज्यों की स्थिति गंभीर हो गई है। तीव्र उष्णता की ज्वाला और तपिश इन राज्यों को सहनी पड़ रही है। मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में इस तपिश ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। इन दोनों राज्यों के ऊष्माघात के शिकार लोगों की संख्या सोमवार को १०० के पार पहुंच गई। बीते चार दिनों में उत्तर प्रदेश में ऊष्माघात से ५४ लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा ४०० से अधिक लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। उत्तर प्रदेश के महज बलिया जिला अस्पताल में ५४ लोगों की बढ़ते तापमान के कारण मृत्यु हो गई। उनकी मौत की वजहें अलग-अलग होंगी फिर भी तीव्र ऊष्माघात ही इसका कारण है, ऐसा डॉक्टरों का कहना है। पूरे उत्तर प्रदेश में उष्णता की लहर है, इसमें १५ जून को २३, १६ जून को २० तो १७ जून को ११ लोगों की मौत हुई। बिहार में भी तेज धूप का कहर जारी है। इसलिए बीते २४ घंटों में सिर्फ पटना के दो बड़े अस्पतालों में ऊष्माघात से ३५ लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा अन्य जगहों पर ९ लोगों की मृत्यु हो गई। गंभीर बात यह है कि १६ लोग इलाज से पहले ही मर गए। उत्तर प्रदेश और बिहार में ऊष्माघात की अवस्था निश्चित तौर पर गंभीर है क्योंकि मरीजों की संख्या इन दोनों राज्यों में बढ़ रही है, उस पर जख्मी तथा मृत्यु का ये आंकड़ा अस्पतालों का है। इसलिए अस्पताल में भर्ती न होनेवाले मृत मरीजों का विचार किया जाए तो मृत्यु का आंकड़ा प्रत्यक्ष रूप से और अधिक हो सकता है। मौसम विभाग ने कल तक बिहार के लिए ‘अत्यधिक गर्म मौसम’ का अलर्ट जारी किया है। इसलिए आगामी दो-तीन दिनों में वहां की परिस्थिति और भी गंभीर होगी, ये तय है। इस साल गर्मी में देशभर में उष्णता रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा। मुंबई सहित महाराष्ट्र में भी प्रचंड गर्मी का प्रहार जून में महसूस हो रहा है। कदाचित मुंबई में अब तक का रिकॉर्ड तापमान जून में ही दर्ज हुआ होगा। शनिवार को सांताक्रुज का अधिकतम तापमान जून में मुंबई का अब तक का सर्वोच्च तापमान रहा। मानसून में देरी और गर्मी में वृद्धि के लिए जिस ‘बिपरजॉय’ चक्रवाती तूफान की ओर उंगली दिखाई गई, वह अब पाकिस्तान पहुंच चुका है। लेकिन फिर भी उसके ‘आफ्टर इफेक्ट’ देश को झेलने पड़ रहे हैं। महाराष्ट्र में मई महीने में पारा ज्यादातर जगहों पर ४५ से ४७ डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था। महाबलेश्वर, माथेरान और अन्य ठंडी हवावाली जगहों पर इस बार सूर्य आग उगलता दिखा। अब जून आधा खत्म हो चुका है फिर भी देश में गर्मी बरकरार है। इससे पहले ‘अलनीनो’ की चेतावनी और बाद में ‘बिपरजॉय’ चक्रवाती तूफान के फटके के कारण मानसून का सफर लंबा खिच गया है। अब २३ जून के बाद मानसून महाराष्ट्र में फिर से सक्रिय होगा, ऐसा कहा जा रहा है। अर्थात इस बार लगभग पूरा जून का महीना ‘बारिश के अभाव में और गर्मी के प्रभाव में’ बीतेगा। इसका दुष्परिणाम फसलों की बुआई और पीने के पानी की आपूर्ति पर तो होगा ही, परंतु मानसून का पूरा समय चक्र इससे बिगड़ने की आशंका है। ()