जन्मजात था पल्मनरी अट्रेसिया विकार, चिकित्सकों ने दुर्लभ सर्जरी कर बच्चे की जान बचाई

मुंबई, नवजात जन्मे शिशु के दिल ने दगा दे दिया था। इतना ही नहीं, बच्चा जन्मजात पल्मनरी अट्रेसिया के विकार से पीड़ित था। इससे सहमा परिवार नादान को लेकर एआईसीटीसी पहुंचा, जहां समय रहते चिकित्सकों ने दुर्लभ सर्जरी कर बच्चे की जान बचा ली।
आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियो थोरैसिक साइंसेज (एआईसीटीएस) में कार्डियोलॉजिस्ट, चेस्ट स्पेशलिस्ट और कार्डियोथोरेसिक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट की एक टीम ने जन्मजात हृदय रोगवाले नवजात शिशु पर ‘पीडीए स्टेंटिंग’ नामक एक दुर्लभ हाइब्रिड सर्जरी की। महज २.५ किलो वजनी नवजात का जन्म पल्मनरी अट्रेसिया नामक बीमारी के साथ हुआ था, जिसमें फेफड़ों के वॉल्व बंद हो जाते हैं। छोटी नली जैसी संरचना और जन्म के तुरंत बाद फेफड़े की धमनी की तरफ होनेवाले प्रवाह को पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस के चलते अवरोध पैदा होता है।
नवजात शिशुओं में रक्त वाहिकाएं बहुत छोटी होती हैं इसलिए स्टेंट लगाना हमेशा एक चुनौती होती है। हालांकि हार्ट स्पेशलिस्ट सर्जन ने धमनियों का विच्छेद करते हुए शिशु में सेटेंट डालने की प्रक्रिया को आसान कर दिया, इससे इस नवजात शिशु को नया जीवन मिला है। फिलहाल बच्चे की स्थिति में सुधार हो रहा है।
एआईसीटीएस सेना का एक सुपर स्पेशियलिटी अग्रणी केंद्र है, जो जटिल जन्मजात हृदय शल्य चिकित्सा के सफल प्रबंधन में हमेशा सबसे आगे रहा है। यहां सेना के डॉक्टरों की टीम अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर सभी प्रकार के हृदय रोग प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक विशेषज्ञ गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मुहैया करा रही है। वे सेना के जवानों, उनके परिवारों, पूर्व सैनिकों के साथ-साथ जो महंगा इलाज नहीं कर सकते हैं, ऐसे आम नागरिकों को भी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।