बुजुर्गों के लिए असुरक्षित राज्य महाराष्ट्र!

मुंबई, अपराध के नजरिए से महाराष्ट्र की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। यहां लगभग हर रोज ही छोटे अपराधों से लेकर बड़ी-बड़ी वारदातें सामने आ जाती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों में भी इसकी पुष्टि हो रही है। एनसीआरबी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में महाराष्ट्र बुजुर्गों के लिए असुरक्षित राज्य है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ वर्ष २०२१ में देशभर में कुल २६,११० आपराधिक वारदातें हुईं । इनमें से करीब २४ फीसदी यानी ६,१९० वारदातें महाराष्ट्र में सामने आर्इं, जिनमें ६,२८७ बुजुर्गों को निशाना बनाया गया, जबकि मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में ५,२७३ आपराधिक वारदातों के शिकार ५,३१३ बुजुर्ग हुए। आंकड़ों पर गौर करें तो देशभर में बुजुर्गों के खिलाफ हुए अपराधों में से करीब ४४ फीसदी इन्हीं दो राज्यों में हुए। महाराष्ट्र में साल २०१९ में बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के ६,१६३ मामले सामने आए थे। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान साल २०२० में यह आंकड़ा घटकर ४,९०९ हुआ लेकिन साल २०२१ में फिर बुजुर्गों के खिलाफ अपराध बढ़े और आंकड़ा ६,१९० तक पहुंच गया।
वरिष्ठ नागरिकों से धोखाधड़ी के मामले भी सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में हो रहे हैं। १,१५० वारदातों में १,१५३ बुजुर्गों से ठगी और ९७३ के साथ धोखाधड़ी हुई है, जबकि इस साल दूसरे नंबर पर तेलंगाना है, जहां बुजुर्गों से ठगी की ४१९ और धोखाधड़ी की ३३३ वारदातें हुई हैं। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बुजुर्गों के खिलाफ हुए अपराधों में से वर्ष २०२१ के अंत तक १२,६७३ की जांच पूरी नहीं हुई थी, जो दूसरे राज्यों के मुकाबले काफी ज्यादा है। १,३७७ मामलों में पुलिस को आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला है।