एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार देश में रोजाना ४५० लोग आत्महत्याएं…

मुंबई : आठ साल पहले मोदी सरकार ने केंद्र की सत्ता संभालने के बाद कहा था कि अब देश में ‘अच्छे दिन आ गए हैं’। मगर धरातल पर स्थिति कुछ और नजर आ रही है। देश में साल दर साल खुदकुशी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार आज ‘अच्छे दिनों’ में देश में रोजाना ४५० लोग आत्महत्याएं कर रहे हैं। खास बात यह है कि लोगों की आत्महत्याओं की रफ्तार बढ़ती ही जा रही है। एक साल पहले के मुकाबले इसमें ७ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

समाज विज्ञान के जानकारों का मानना है कि देश में बढ़ती महंगाई और आम आदमी की घटती कमाई इसका प्रमुख कारण है। कमाई और रोजगार न होने से लोगों में तनाव काफी बढ़ गया है। इससे पारिवारिक कलह पैदा होता है और इस कारण आत्महत्याएं बढ़ रही हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी की रिपोर्ट बताती है कि २०२१ में देशभर में करीब १.६४ हजार से ज्यादा लोगों ने खुद की जान ले ली। ये आंकड़ा २०२० की तुलना में ७.२ फीसदी ज्यादा है। २०२० में १.५३ लाख लोगों ने सुसाइड की थी।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया में हर साल ७ लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। इससे कहीं ज्यादा लोग ऐसे होते हैं जो आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं। संस्था का कहना है कि १५ से २९ साल के युवाओं के बीच मौत की चौथी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है। भारत में ही साल दर साल आत्महत्या करनेवालों की संख्या बढ़ रही है। पिछले साल १,०६४,०३३ लोगों ने आत्महत्या कर ली।

एनसीआरबी के मुताबिक, २०१७ में १.२९ लाख लोगों ने आत्महत्याएं की थीं। यानी २०१७ से लेकर २०२१ तक, ४ सालों में आत्महत्या करनेवालों की संख्या २६ फीसदी से ज्यादा बढ़ गई। हर व्यक्ति की आत्महत्या करने का अलग-अलग कारण होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अवसाद और तनाव की वजह से आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। कई बार मेडिकल कारण भी होता है। इसके अलावा जब इंसान के पास अपनी परेशानी से निकलने का कोई रास्ता नहीं होता, तो भी वो सुसाइड कर लेता है। एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में आत्महत्या करने वाले कारणों के बारे में भी बताया है।

इसके मुताबिक, पैâमिली प्रॉब्लम और बीमारी (एड्स, वैंâसर आदि) से तंग आकर लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं। पिछले साल ३३ फीसदी सुसाइड पैâमिली प्रॉब्लम और १९ फीसदी बीमारी की वजह से हुई है। १८ से ३० साल के ५६,५४३ युवाओं ने आत्महत्या की थी, वहीं ३० से ४५ साल के ५२,०५४ और ४५ से ६० साल के ३०,१६३ लोगों ने सुसाइड की थी। १८ साल से कम उम्र के १०,७३२ लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या करने वाले ६४ फीसदी यानी १.०५ लाख लोग ऐसे थे, जिनकी सालाना कमाई १ लाख रुपए से भी कम थी।