नवाब मलिक पर गलत आरोप, आरटीआई के जरिए खुलासा

मुंबई, राकांपा नेता नवाब मलिक के मामले में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए एक नया खुलासा हुआ है। इसके जरिए ईडी की सच्चाई सामने आ गई है कि उन पर गलत आरोप लगाया है। मलिक की कानूनी टीम ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए खुलासा किया है कि मलिक की जमीन की बिक्री फर्जी नहीं थी। इसके लेन-देन में कोई अनियमितता नहीं बरती गई थी। बता दें कि मलिक ने गोवावाला वंâपाउंड से जुड़ी ३ एकड़ जमीन के मामले में जमानत याचिका दायर की है। उसी पर सुनवाई के दौरान ईडी द्वारा किए गए दावे का आरटीआई से ब्यौरा हासिल कर खंडन किया गया है। ईडी की कार्रवाई पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। इस बीच नवाब मलिक की कानूनी टीम ने यह खुलासा किया है।
गौरतलब है कि ईडी ने आरोप लगाया था कि मलिक ने अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के गुर्गे सलीम पटेल से संपत्ति खरीदी थी। ईडी की ओर से यह भी दावा किया गया था कि इस लेन-देन से मिले पैसे को आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों (टेरर पंâडिंग) के लिए मुहैया कराया गया था। इस मामले में ईडी द्वारा पेश किए गए मुख्य सबूत अप्रेंटिस सलीम पटेल के पास जमीन के मालिक मुनीरा प्लंबर का जाली पॉवर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) था। केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक कुर्ला में ३ एकड़ के गोवावाला वंâपाउंड के मालिक ने उस पर कब्जा कर लिया था। प्लंबर ने पटेल को कुछ पैसे देकर पॉवर ऑफ अटॉर्नी की मदद से अतिक्रमण हटा लिया था।
मलिक ने कहा था कि पटेल ने कुर्ला में संपत्ति बेचने के लिए एक प्लंबर द्वारा हस्ताक्षरित पॉवर ऑफ अटॉर्नी दिखाया था। ईडी को दिए गए प्लंबर के बयान के मुताबिक उन्होंने संपत्ति बेचने के लिए कभी भी पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं दी थी। ईडी ने कहा कि संपत्ति की बिक्री नवाब मलिक, सलीम पटेल और हसीना पारकर की साजिश में की गई थी इसलिए सभी संबंधित दस्तावेज जाली थे।