स्वाइन फ्लू को बेजान करने के लिए एक लाख टीकों की खरीददारी

मुंबई, महाराष्ट्र में जुलाई महीने के दौरान स्वाइन फ्लू के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। राज्य के विभिन्न जिलों में इस बीमारी की चपेट में आए कई मरीजों की जान जा चुकी है, जिसे गंभीरता से लेते हुए राज्य स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों की जान बचाने और स्वाइन फ्लू को बेजान करने के लिए एक लाखटीकों की खरीददारी की है। इन टीकों के स्टॉक को राज्य के विभिन्न जिलों में उपलब्ध कराया जा रहा है। यह वैक्सीन गर्भवती महिलाओं, स्वास्थ्यकर्मियों जैसे जोखिम समूहों में शामिल लोगों के लिए जिलों में भेजी जा रही है।
राज्य में जुलाई से स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। इसकी चपेट में आए मरीजों की संख्या १७३ को पार कर गई है, जबकि नौ लोगों की मौत भी हो चुकी है। कोरोना काल में स्वाइन फ्लू का प्रसार तुलनात्मक रूप से कम था। इससे संक्रमितों और मृतकों की संख्या में भी काफी कमी आई लेकिन कोरोना के कम होने के बाद स्वाइन फ्लू का प्रसार फिर से बढ़ने लगा है। स्वाइन फ्लू का सबसे अधिक खतरा गर्भवती महिलाएं, ६५ वर्ष से अधिक आयु के लोग, अस्थमा, हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, मधुमेह, तंत्रिका तंत्र विकार आदि जैसे पुराने रोगों के रोगी, लंबे समय तक दवा लेने से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणालीवाले रोगी और मोटे लोगों को अधिक है। इस बीमारी को रोकने के लिए इंजेक्शन और नेजल स्प्रे के रूप में टीका उपलब्ध है।
महामारी सर्वेक्षण विभाग के प्रमुख डॉ. प्रदीप आवटे के मुताबिक हर साल स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से टीकों के कुछ स्टॉक खरीदे जाते हैं और सरकारी अस्पतालों में वितरित किए जाते हैं। खासकर स्वास्थ्यकर्मियों, गर्भवती माताओं को यह टीका लगाया जाता है। इस वर्ष लगभग एक लाख टीकों का स्टॉक खरीदा गया है और जिलों में उनका वितरण भी शुरू हो गया है। ठाणे डिविजन स्टॉक को भेज दिया गया है। साथ ही यह स्टॉक जल्द ही मुंबई को मिलेगा।
हर साल मानसून और सर्दियों के दौरान स्वाइन फ्लू का प्रसार बढ़ जाता है। पिछले दो सालों में कोरोना वायरस के मामले सबसे ज्यादा थे। आमतौर पर यदि एक वायरस प्रभावशाली होता है तो अन्य वायरस कम प्रभावी होते हैं। लेकिन अब डेंगू, स्वाइन फ्लू जैसे दूसरे वायरस के मामले फिर से ब़ढ़ने लगे हैं यानी अब कोरोना का असर कम हो रहा है। इस साल जुलाई के महीने में हर तरफ लगातार हो रही भारी बारिश से मौसम ने करवट ली है। ऐसा वातावरण विषाणुओं के विकास के लिए अनुकूल हैं। इसके चलते ही इनका प्रसार बढ़ गया है।