फुटपाथ की समस्या बरकरार, ५ वर्ष गुजरने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं

मुंबई, मुंबई में फेरीवालों के संबंध में पॉलिसी बनाने के लिए वर्ष २०१७ में ही घोषणा की गई थी। तब फेरीवालों के उत्थान के लिए बड़े-बड़े दावे किए गए। लेकिन ५ वर्ष गुजरने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। इससे मुंबई व आस-पास के क्षेत्र में फुटपाथ की समस्या बरकरार है। नतीजतन फेरीवालों के साथ-साथ जनता में भी नाराजगी देखने को मिल रही है। एक तरफ मनपा पर बैठक कर पॉलिसी निर्णय लेने का दबाव है तो दूसरी तरफ फेरीवालों का पुन: सर्वेक्षण करने की मांग उठने लगी है।
बता दें कि मनपा ने फेरीवालों का सर्वे किया था। जिसमें १ लाख २८ हजार ४४४ फेरीवालों की जानकारी जुटाई गई थी। पूरे मुंबई से ९९ हजार ४३५ फेरीवालों के आवेदन मिले थे। लेकिन जांच के बाद १५ हजार ३६१ फेरीवालों को क्वालिफाइड पाया गया। फेरीवालों के अनुसार, यह सर्वेक्षण गलत तरीके से किया गया है। अब पुन: सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। इसके लिए कई फेरीवाला संगठनों ने आयुक्त को पत्र लिखा है। उधर मनपा ने ४०४ सड़क मार्गों पर ३० हजार ८३२ फेरीवालों के लिए जगह निर्धारित की है। फेरीवालों का पुनर्वसन हो सके इसके लिए एक समिति बनाई गई थी।
उस समिति की पहली बैठक नवंबर २०१७ में आयोजित की गई थी। इसके बाद २०१८ में मई और अक्टूबर में दो बैठकें हुर्इं और आखिरी बैठक जनवरी २०२० में हुई थी। लेकिन उस समिति में फेरीवालों का प्रतिनिधित्व नहीं होने से लोगों ने कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की। कोर्ट ने सुनवाई में साफ निर्देश दिया कि जनप्रतिनिधियों के साथ फेरीवालों के प्रतिनिधियों को भी उस कमेटी में शामिल कर बैठक होनी चाहिए। लेकिन अबतक फेरीवालों के प्रतिनिधियों के चयन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाई। बैठक तो दूर की बात है। ()