इलाज नहीं मिला, नवजात की मौत!

पालघर, जिले के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं दिनों-दिन बिगड़ती जा रही हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं और बच्चों की दर्दनाक मौत का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी नींद नहीं टूट रही है। इन मौतों के लिए जिम्मेदार व लापरवाह स्वास्थ्य विभाग, डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ जांच करते हुए किसी तरह की कार्रवाई को तैयार नहीं दिखाई दे रहा है। बता दें कि साल भर में ही जिले के आदिवासी इलाकों में इलाज के अभाव में कई गर्भवती महिलाएं और उनके बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों और कर्मियों की कमी का बहाना बना रहा है। इसी तरह के एक और मामले में मोखाड़ा निवासी गर्भवती महिला को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर परिजन भटकते रहे। लेकिन समय पर इलाज नहीं मिला, जिससे नवजात की मौत हो गई।
मोखाड़ा ग्रामीण अस्पताल में भर्ती एक महिला के प्रसव के बाद नवजात शिशु की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि खोडाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में समय पर महिला को इलाज नहीं मिला, जिससे उसके बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई है। इसके बाद परिवार ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया, वहीं मां और उसके परिवार को तड़पकर रोते देख वहां मौजूद लोगों की आंखों में भी आंसू आ गए। परिजनों ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि सरकारी अस्पताल की लापरवाही से उनके बच्चे की जान गई है। परिजनों ने दोषियों पर कार्रवाई होने तक बच्चे का शव लेने से भी इंकार कर दिया। हालांकि, बाद में मिले आश्वासन के बाद उन्होंने बच्चे का शव लिया।
तलयचीवाड़ी निवासी मयूरी अनिल वाघ (१९) को प्रसव पीड़ा के बाद रविवार की दोपहर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोडाला में भर्ती करवाया गया। महिला के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों ने यहां उसका इलाज नहीं किया और उसे मोखाड़ा के ग्रामीण अस्पताल ले जाने के लिए कहा। एक घंटे बाद उसे लेकर परिजन ग्रामीण अस्पताल पहुंचे और महिला को भर्ती करवाया गया। करीब पंद्रह मिनट बाद उसने एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन उसकी मौत हो गई। ()