ट्रेन से यात्रा करनेवाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में ८५ प्रतिशत की गिरावट

मुंबई, कोरोनाकाल में वरिष्ठ नागरिकों की रियायत पर भारतीय रेलवे ने वैंâची चलाई थी, जिससे वरिष्ठ नागरिकों ने भी रेलवे की यात्रा करने से इनकार कर दिया। नतीजतन, रेलवे को वरिष्ठ नागरिकों से होनेवाली कमाई ९० फीसदी घट गई है। इसका खुलासा एक आरटीआई में हुआ है। सूचना के अधिकार के अनुसार, २०१९ और २०२२ के बीच ट्रेन से यात्रा करनेवाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में ८५ प्रतिशत की गिरावट आई है।
भारतीय रेलवे ने मार्च २०२० में कोरोना वायरस के प्रकोप के साथ वरिष्ठ नागरिकों सहित विभिन्न श्रेणियों के लोगों के लिए ट्रेन टिकट रियायत को वापस लेने की घोषणा की थी। कोविड से पहले रेलवे ने मेल, एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी, जन शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों की सभी श्रेणियों में ६० वर्ष और उससे अधिक के पुरुष वरिष्ठ नागरिकों और ५८ वर्ष और उससे अधिक की महिलाओं को किराए में रियायत दी थी। हालांकि, रेलवे ने अभी तक इसे दोबारा शुरू नहीं किया है। पूछे जाने पर संबंधित अधिकारियों के पास कोई ठोस जवाब भी नहीं है।
एक आरटीआई के जवाब से पता चलता है कि वर्ष २०२२ में लगभग १.२ करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेन से यात्रा की, जिससे १५० करोड़ रुपए की कमाई हुई थी, जबकि २०१९ में, ७.४ करोड़ वरिष्ठ नागरिक ट्रेन यात्री थे, जिनसे रेलवे को १,६६३ करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित हुआ था। रेलवे में यात्रा करनेवाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में २०१९ के बाद से लगातार गिरावट आई है। वर्ष २०२० में ७.४ करोड़ घटकर १.८ करोड़ रुपए की कमाई हुई, वहीं २०२१ में १.३ करोड़ और पिछले साल १.२ करोड़ राजस्व अर्जित किया है। २०१९ में प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक यात्री से रेलवे की औसत कमाई २२५ रुपए थी, जो २०२२ में घटकर १२३ रुपए यानी आधी हो गई।
रेल मंत्रालय के मुताबिक, वरिष्ठ नागरिकों को किराए में रियायत देने की कोई योजना नहीं है। रेलवे पहले से ही सभी यात्रियों के लिए ५०-५५ प्रतिशत रियायत दे रही है। अगर हम और रियायत देते हैं तो टिकट की दर लगभग दोगुनी हो जाएगी। फिलहाल, रियायत के मामले में कोई योजना नहीं है। ()