हवाई अड्डे के पास निर्धारित सीमा से अधिक ऊंची इमारतों को ध्वस्त किया जाए – मुंबई हाईकोर्ट

मुंबई, मुंबई हाईकोर्ट ने हवाई अड्डे के पास निर्धारित सीमा से अधिक ऊंची इमारतों को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने इस मामले में जिलाधिकारी को खरी-खरी सुनाते हुए कहा है कि इस खतरे के बारे में कुछ करना होगा। शुक्रवार को मुंबई हाईकोर्ट ने मुंबई उपनगरीय जिलाधिकारी को आदेश दिया कि शहर के हवाई अड्डे के पास निर्धारित सीमा से अधिक ४८ ऊंचे इमारतों को ध्वस्त किया जाए। उक्त आदेश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि इसके विरुद्ध कार्रवाई कैसे की जाएगी? इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश देते हुए कल हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई को २२ अगस्त तक स्थगित कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम. एस. कर्णिक की एक खंडपीठ ने इसकी जिम्मेदारी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (मनपा) को देने की कोशिश को लेकर भी जिलाधिकारी को लताड़ लगाई है। अदालत ने अधिकारियों को उन इमारतों की बिजली और पानी की आपूर्ति खंडित करने का भी सुझाव दिया है, जिन्हें ऊंचाई संबंधी उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया गया है। उच्च न्यायालय, अधिवक्ता यशवंत शेनॉय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मुंबई हवाई अड्डे के पास ऊंची इमारतों से उत्पन्न खतरों पर चिंता जताई गई है। ‘मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड’ (एमआईएएल) द्वारा यह सूचित किया गया कि समय-समय पर सर्वेक्षण किए जाते हैं और २०११ से २०१६ के दौरान खतरा उत्पन्न करने वाली कुल १३७ इमारतों/संरचनाओं की पहचान की गई थी। खतरा उत्पन्न करने वाली १३७ इमारतों में से ३६ इमारतों के निर्माण कार्य पर कार्रवाई की जा चुकी है जबकि ४८ इमारतें अभी भी ऐसी हैं, जिन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई, ऐसी जानकारी याचिकाकर्ता अधिवक्ता यशवंत शेनॉय ने खंडपीठ को दी।
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में मुंबई उपनगर के कलेक्टर को निर्देश जारी किए थे कि वह डीजीसीए के आदेशों के अनुपालन में मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास ४८ ऊंची इमारतों के हिस्से को ध्वस्त कर दें। अब कोर्ट के आदेश के अनुसार एक निश्चित ऊंचाई से ऊपर निर्मित हिस्से को ध्वस्त किया जाना है। मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एमआईएएल) द्वारा यह सूचित किया गया था कि समय-समय पर सर्वेक्षण किए जाते हैं और २०१० में कुल १३७ खतरे वाली इमारतों की पहचान की गई थी। इन १३७ इमारतों में से ६३ मामलों में अंतिम आदेश पारित किया जा चुका है।