वकीलों का ग्रुप दे रहा मजबूर कैदियों को राहत

मुंबई: जेल में बंद कैदी अपराधी है या नहीं, यह तय होते-होते आरोपी का बहुत कुछ छिन जाता है। कई कैदी अपराध में तय सजा से भी बड़ी सजा भुगत चुके होते हैं। पहले जमानत का इंतजार, फिर जमानत मिल भी गई, तो जमानती का इंतजार। यदि बाहर आ गए, तो समाज में पहले जैसी इज्जत का इंतजार। कैदियों को इस जाल से बाहर निकालने की कोशिश में जुटा है वकीलों का एक समूह, जिसने अपनी पहचान ‘दर्द से हमदर्द तक’ के रूप में कायम की है। मजबूर विचाराधीन कैदियों के लिए ऐडवोकेट प्रकाश सालसिंगिकर उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। खुद संघर्ष का सामना कर मुंबई में अपना मुकाम बनाने वाले सालसिंगिकर मुफ्त कानूनी सहायता देकर पिछले तीन सालों में 500 से अधिक विचाराधीन कैदियों के चेहरे पर मुस्कान बिखरे चुके हैं।
मामूली या गंभीर अपराध के आरोप में बंद कैदियों को कानूनी मदद देने के लिए सालसिंगिकर ने 25 वकीलों का समूह बनाया है, जो मुंबई, ठाणे, और पुणे की जेलों में बंद कैदियों के केस को देखते हैं। फिर उनकी अर्जी कोर्ट में लगाते हैं।
यह समूह जेल, पुलिस और कोर्ट के बीच पुल का काम कर रहा है। सालसिंगिकर कहते हैं कि कैदियों की मदद से मिलने वाला सुकून उन्हें मोटी फीस से अधिक खुशी देता है। इसलिए अब मदद के इस उपक्रम को जीवन का एक अभियान बना लिया है। ()