घाटे में प्राइवेट ट्रेन, आईआरसीटीसी को करोड़ों का नुकसान

मुंबई, भारतीय रेलवे ने बड़े ही धूमधाम से आईआरसीटीसी के अंतर्गत प्राइवेट ट्रेन का परिचालन शुरू किया था। रेलवे द्वारा अमदाबाद-मुंबई और लखनऊ-दिल्ली रूट पर प्राइवेट ट्रेन तेजस को चलाया गया, जो कि रेलवे के लिए फेल साबित हुई। ये ट्रेन रेल यात्रियों को नहीं लुभा पाई, जबकि इन ट्रेनों में आईआरसीटीसी हवाई जहाज की तर्ज पर यात्रियों को सुविधा दे रही है। उपरोक्त दोनों रूटों पर आईआरसीटीसी को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। रेलवे के अनुसार ये दोनों ट्रेनें हर साल जबरदस्त घाटे में आ रही हैं। यह घाटा इतना है कि तेजस ट्रेनों का संचालन जब से शुरू हुआ है, तब से ये ट्रेनें १५ करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान झेल रही है।
बता दें कि रेलवे की प्राइवेट ट्रेनों का किराया भी आम ट्रेनों से ज्यादा है, जबकि इसमें सुविधाएं फ्लाइट की तर्ज पर दी जाती हैं। कोरोना के बाद से इन ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी लगातार घटाई-बढ़ाई गई। यात्री कम होने पर साल २०१९ से २०२२ के बीच इसका अस्थाई रूप से पांच बार परिचालन भी बंद किया गया। कोविड-१९ महामारी को ध्यान में रखते हुए, ये दोनों गाड़ियां लंबे समय तक परिचालन में नहीं थीं और यहां तक कि गाड़ियों के पेâरे भी कम कर दिए गए थे।
आईआरसीटीसी ने इन दोनों तेजस ट्रेनों की सेवाओं के परिचालन से घाटा अर्जित किया है। रेल मंत्रालय ने संसद में जानकारी दी कि फिलहाल अब निजी ऑपरेटरों द्वारा वर्तमान में नियमित यात्री गाड़ियों के परिचालन के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इससे साफ है कि अब कोई प्राइवेट ट्रेन चलने के मूड में नहीं है। रेल मंत्रालय ने बताया है कि लखनऊ-नई दिल्ली तेजस ट्रेन ने भी वर्ष २०१९-२० के दौरान २.३३ करोड़ रुपए का लाभ कमाया, वहीं २०२०-२१ और २०२१-२२ में १६.६९ करोड़ रुपए और ८.५० करोड़ रुपए का घाटा हुआ।
आईआरसीटीसी ने रेलवे बोर्ड को पत्र भेजकर चार्ज माफ करने की गुहार लगाई है, ताकि तेजस को घाटे से उबारकर यात्रियों को बेहतर, सुरक्षित और समयबद्ध ट्रेन संचालन की सेवाएं मिलती रहें। इससे रेलवे की छवि बेहतर होगी। रेलवे में पहली बार प्राइवेट ट्रेन तेजस का संचालन शुरू हुआ, जो रेलवे के विभिन्न चार्ज के चलते घाटे में चला गया है। वर्तमान में टिकटों की बिक्री के मुकाबले खर्च दोगुना है। इससे तेजस ट्रेन का संचालन घाटे में है।