अब अपनी मर्जी से प्रसारण या चैनल नहीं चला सकेंगे राज्य

मुंबई, केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यों पर प्रसारण बंदी का पटाखा फोड़ दिया है, इससे देश में गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों में नाराजगी नजर आ सकती है, क्योंकि केंद्र की नई नीति के आधार पर अब राज्यों को अपनी मर्जी से प्रसारण करने या चैनल चलाने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें अपने कार्यक्रमों और प्रसार सामग्री के प्रसारण के लिए केंद्र के अधीनस्थ कार्य करनेवाली प्रसार भारती को सामग्री मुहैया करानी होगी, जिससे उसमें केंद्र के हस्तक्षेप की संभावना बढ़ने के आसार बढ़ जाएंगे और तमाम राज्यों की प्रसारण सामग्री को प्रसारित करने में भेदभाव व सेंसरशिप की प्रबल संभावना बन जाएगी।
गौरतलब हो कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राज्यों के प्रसारण पर सेंसरशिप से संबंधित जो फरमान कल जारी किया है, उसी तरह की गुपचुप सेंसरशिप केंद्र ‘आकाशवाणी’ पर पहले ही लागू कर चुका है।
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने आकाशवाणी के तमाम क्षेत्रीय प्रसारणों को बंद करने का निर्णय लिया है। इससे क्षेत्रीय प्रसारण में काम करनेवाले कर्मचारियों एवं लोक कलाकारों का रोजगार खत्म होने का खतरा निर्माण हो गया है।
बता दें कि केंद्र ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को हिदायत दी है कि वे अपने स्तर पर चलाई जा रही प्रसारण गतिविधियां तुरंत बंद करें। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अपनी सामग्री प्रसारित करनेवालों को प्रसार भारती का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा प्रसारकों को अगले साल ३१ दिसंबर तक प्रसारण सामग्री वितरित करनेवाली संस्थाओं से खुद को अलग करने के लिए भी कहा गया है।
शुक्रवार को जारी एडवाइजरी में कहा गया है केंद्र सरकार का कोई भी मंत्रालय या विभाग, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की सरकार और उनसे जुड़ी संस्थाएं भविष्य में प्रसारण गतिविधियों के प्रसारण और वितरण में प्रवेश नहीं करेंगी। अगर केंद्रीय मंत्रालय, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकार और उनसे संबंधित संस्थाएं पहले से ही अपनी सामग्री प्रसारित कर रही हैं तो यह सिर्फ सार्वजनिक प्रसारणकर्ता के माध्यम से ही की जाएंगी।