२३ मनपाओें के चुनाव चार महीने बाद!

मुंबई, महाविकास आघाड़ी सरकार ने बढ़ी हुई जनसंख्या के आधार पर आरक्षण और वॉर्ड संरचना की घोषणा की थी। लेकिन नई सरकार के महाविकास आघाड़ी के फैसले को रद्द करने की जिद के चलते राज्य की २३ महापालिकाओं के चुनाव कम-से-कम तीन से चार महीने के लिए टाल दिए जाएंगे। वॉर्ड संरचना, आरक्षण, मतदाता सूची जैसे कार्यों के कारण चुनावी पटाखा दीवाली के बाद फटने का संकेत दिखाई दे रहा है।
महाविकास आघाड़ी सरकार ने राज्य में महापालिका और नगरपरिषदों में सदस्यों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया था। जनसंख्या में साढ़े चार प्रतिशत की वृद्धि मानकर वॉर्डों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। लेकिन नई सरकार ने महाविकास आघाड़ी सरकार के निर्णय को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह नियमों के अनुसार नहीं है इसलिए अब पूरी चुनाव प्रक्रिया नए सिरे से करनी होगी। चुनाव कार्यक्रम में चुनावी प्रक्रिया के तीन चरण होते हैं जैसे वॉर्ड रचना, आरक्षण, मतदाता सूची और मतदान। वॉर्ड बनने के बाद आपत्ति व सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं। इसके बाद सुनवाई होती है। आरक्षण और मतदाता सूची पर आपत्तियां आमंत्रित की जाती हैं। ये सभी काम आगामी चुनाव को देखते हुए पूरे किए गए थे। लेकिन अब उक्त सभी कार्यों को नए सिरे से शुरू करना होगा।
कैबिनेट बैठक में नई सरकार ने महापालिकाओं में वॉर्डों की बढ़ी हुई संख्या, जिला परिषदों और पंचायत समितियों की बढ़ी हुई संख्या को रद्द करने और २०१७ के हिसाब से बनाए वॉर्ड को रखने का फैसला किया है। लेकिन यह प्रक्रिया अध्यादेश निकालने के बाद ही वास्तविक रूप से नए सिरे से शुरू होगी। इसके साथ छह महीने की अवधि के भीतर इस अध्यादेश को कानून में बदलना अनिवार्य होगा, जिसके कारण आगामी मानसून अधिवेशन में दोनों सदनों में इस बिल को पास कराना होगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बारिश के मौसम के कारण चुनाव तीन से चार महीने के बाद कराने का आदेश दिया था। लेकिन अब चुनाव अधिकारियों का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया नए सिरे से लागू करनी है, इसमें तीन से चार महीने का समय लगेगा।
प्रशासन ने जहां बढ़ती आबादी को देखते हुए प्रशासनिक सुविधा के लिए ९ वॉर्ड बढ़ाने का फैसला किया है, वहीं नई सरकार की आड़ में और बागियों की मदद से चुनाव प्रक्रिया में भाजपा का दखल लोकतंत्र की हत्या है। ऐसा विधानसभा में शिवसेना के प्रतोद सुनील प्रभु ने कहा। भाजपा ने कितना भी प्रयास किया, फिर भी मुंबईकर उन्हें मतपेटी के माध्यम से मुंहतोड़ जवाब देंगे, ऐसा विश्वास उन्होंने व्यक्त किया।