केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का सनसनीखेज खुलासा

मुंबई, केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार द्वारा आए दिन घोषणाएं की जाती हैं कि हिंदुस्थान एक वैश्विक गुरु बनते जा रहा है। हालांकि सच्चाई ठीक इसके विपरीत है। कारण शिक्षा से ही देश की रीढ़ मजबूत होती है जबकि इसे लेकर मोदी सरकार पूरी तरह से लापरवाह है। इसका खुलासा केंद्र सरकार की तरफ से शिक्षा को लेकर साझा किए गए अहम दस्तावेज में हुआ है। ऐसे में कहा जा रहा है कि मोदी सरकार की अजब कहानी के चलते राज्य में शिक्षा पर पानी फिर रहा है, क्योंकि केंद्रीय योजना ‘पढ़े भारत बढ़े भारत’ पूरी तरह से फेल हो रही है। वहीं राज्य के स्कूलों में कहीं लाइब्रेरी तो कहीं पुस्तक ही गायब हैं।
जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में ६५,६८५ सरकारी स्कूलों में से एक में भी लाइब्रेरी की सुविधा नहीं है। इसी तरह कुल २३,९२४ निजी सहायता प्राप्त स्कूलों में से ५,९५३ में और निजी गैर सहायता प्राप्त १९,६३२ स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है। कुछ यही हाल पुस्तकों को लेकर भी है। कई स्कूलों से पुस्तक ही गायब हैं। यह चौंकानेवाला तथ्य केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय की यूडीआईसी रिपोर्ट २०२१-२२ में सामने आया है। इसके अलावा यह जानकारी भी सामने आई है कि महाराष्ट्र में सरकारी और निजी स्कूलों सहित एक लाख १० हजार ११४ स्कूलों में से १३ प्रतिशत स्कूलों में लाइब्रेरी और पाठ्य पुस्तकें नहीं हैं। मतलब कुल दो करोड़ २५ लाख छात्रों में से एक करोड़ ४६ लाख ३१ हजार छात्र लाइब्रेरी और किताबों से वंचित रह गए हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ पूरे हिंदुस्थान में लागू हुआ। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उस कानून को क्रांतिकारी घोषित कर दिया लेकिन मोदी सरकार ने खुद ‘पढ़े भारत बढ़े भारत’ योजना के इन दस्तावेजों में स्वीकार किया है कि इस कानून के बाद भी पढ़ना-लिखना सिर्फ किताबों तक ही सीमित रह गया है।
योजना मंजूर करते समय फैसला लिया गया था कि पहली से आठवीं तक की शिक्षा के लिए सभी प्रकार की शैक्षणिक सामग्री, भौतिक सुविधाएं, शिक्षक, इमारत की व्यवस्था सरकार करेगी। इसके साथ ही शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने ‘पढ़े भारत बढ़े भारत’ योजना की शुरुआत की। लेकिन महाराष्ट्र में यह योजना मंत्रालय की फाइल में लटकी नजर आ रही है। कहा गया है कि यह योजना ईडी सरकार के चलते फेल होती नजर आ रही है।