बढ़ती महंगाई, नीतिगत दर में सख्ती से ग्राहकों का विश्वास बैंकों से उठ गया!
मुंबई, जमाकर्ताओं से सस्ता धन जुटाने में इन दिनों बैंकों को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। बैंकों के लिए चालू खातों और बचत खातों (कासा) के माध्यम से कम लागत पर जमाकर्ताओं को आकर्षित करने का दौर अब ब्याज दर के चक्र में बदलाव के साथ खत्म हो गया है। बैंकों द्वारा ग्राहकों के जमा पैसों पर ब्याज दर कम होने से ग्राहकों का विश्वास अब बैंकों से उठ गया है। ब्याज दर की आवक कम होने से ग्राहकों ने बैंकों में जमा अपने पैसों की निकासी बढ़ा दी है और बैंक की बजाय घर में ही पैसा जमा करने में ज्यादा विश्वास कर रहे हैं। दरअसल, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि तमाम बैंकों की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी या तो स्थिर बनी हुई है या सितंबर २०२२ को समाप्त तिमाही में कम हो गई है। इस सबके पीछे की वजह देश में बढ़ती महंगाई, नीतिगत दर में सरकार द्वारा की गई सख्ती और व्यवस्था में अतिरिक्त नकद न होना बताया जा रहा है।
बता दें कि निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी सितंबर २०२२ में घटकर ४५.४ प्रतिशत रह गई है, जो जून २०२२ में ४५.८ प्रतिशत और एक साल पहले ४६.८ प्रतिशत थी। सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी सितंबर २०२२ में ३५.६३ प्रतिशत रह गई है, जो जून २०२२ में ३६.१९ प्रतिशत और सितंबर २०२१ में ३७.१६ प्रतिशत थी।
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की भी जमा स्थिति अलग नहीं है। सितंबर २०२१ में कासा की हिस्सेदारी ४६.२४ प्रतिशत थी, जो जून २०२२ में ४५.३३ प्रतिशत रह गई है। बढ़ी महंगाई, नीतिगत दर में सख्ती और व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी न होने की स्थिति में अब बैंक सस्ता धन पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ग्राहक अब अपने धन की बचत कर रहे हैं और निवेश के बारे में पैâसला करने के पहले बहुत सोच-विचार कर रहे हैं।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी ए.एस. राजीव का कहना है कि जमा दरों में बढ़ोतरी के साथ बचत खातों में से कुछ धन फिक्स डिपॉजिट में गया है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव नियंत्रण में है और बैंक ५५ प्रतिशत का स्तर बनाए रखने में सक्षम होगा क्योंकि वित्तीय समावेशन से इसमें मदद मिली है। बैंक की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी सितंबर २०२२ में थोड़ी बढ़कर ५६.२७ प्रतिशत हो गई है, जो जून २०२२ में ५६.०८ प्रतिशत और एक साल पहले ५३.९१ प्रतिशत थी।