देशमुख और मलिक विधान परिषद चुनाव में मतदान कर पाएंगे या नहीं, मुंबई उच्चन्यायालय सुनाएगा फैसला…

मुंबई : मुंबई उच्चन्यायालय अनिल देशमुख और नवाब मलिक की विधान परिषद चुनाव में मतदान की अनुमति वाली याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के इन दोनों नेताओं के पिछले सप्ताह हुए राज्यसभा चुनाव में मतदान की अनुमति नहीं मिल सकी थी। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख एवं कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
दोनों पर प्रवर्तन निदेशालय की ओर से गंभीर आरोप लगाए गए हैं। विशेष पीएमएलए कोर्ट से 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव में मतदान की अनुमति न मिलने के बाद दोनों नेताओं ने मुंबई उच्चन्यायालय में याचिका दायर कर 20 जून को होनेवाले विधान परिषद चुनाव में मतदान की अनुमति मांगी है। न्यायमूर्ति एन.जे.जमादार की अदालत में आज दोनों नेताओं के वकीलों ने उन्हें मतदान के लिए 20 जून को विधान भवन जाने की अनुमति मांगी। जबकि ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल सिंह ने पीएमएलए कोर्ट में दिए गए अपने तर्कों को ही दोहराते हुए इस याचिका का विरोध किया।
अनिल सिंह ने कहा कि कानून कहता है कि जब कोई व्यक्ति जेल में है, तो वह मतदान नहीं कर सकता। इसलिए यदि किसी को मतदान के लिए छूट दी जाती है, तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा। इसलिए मैं अदालत से निवेदन करता हूं कि याचिकाकर्ताओं को मतदान का अधिकार न दिया जाए। जबकि नवाब मलिक के वकील अमित देसाई ने तर्क दिया कि धारा 62(5) के तहत यह प्रावधान कैदियों को मतदान की छूट दिए जाने पर उनके लिए विशेष व्यवस्था की दिक्कतों को ध्यान में रखकर किया गया था। चूंकि नवाब मलिक फिलहाल जेल में नहीं है।
वह अस्पताल में हैं। इसलिए उन्हें एक पुलिस सुरक्षा में मतदान का अधिकार दिया जा सकता है। चूंकि उन्हें अभी कोई सजा नहीं मिली है, इसलिए भी उन्हें मतदान से नहीं रोका जाना चाहिए। अनिल देशमुख के वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि हालांकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62(5) कैदियों को मतदान से रोकती है। लेकिन अदालत के पास अधिकार हैं कि वह उन्हें मतदान की अनुमति प्रदान करें।
न्यायमूर्ति जमादार ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सवाल किया कि यह चुनाव आम चुनावों से अलग हैं। ये विधान परिषद के चुनाव हैं। इन दोनों (देशमुख और नवाब मलिक) ने व्यक्तिगत तौर पर कुछ ऐसा किया है, जिसके कारण ये जेल में हैं। चूंकि यह सीधा चुनाव नहीं है। इसलिए क्या इनके मतदान न कर पाने क प्रभाव इनके क्षेत्र के मतदाताओं पड़ेगा ? इस पर एएसजी सिंह का कहना था कि यदि इन दोनों नेताओं को वर्तमान कानून से कोई शिकायत है, तो उन्हें नए कानून के लिए संसद का रुख करना चाहिए। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने अपना फैसला शुक्रवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।