४५ साल बाद महाराष्ट्र के जेल मैनुअल में व्यापक बदलाव
मुंबई, महाराष्ट्र में नया जेल मैनुअल लागू होते ही कैदियों को फांसी पर लटकाने के लिए नियुक्त किए जानेवाले जल्लादों की जरूरत खत्म हो जाएगी। १९७९ से अमल में लाए जा रहे मौजूदा जेल मैनुअल में किसी कैदी को मृत्यु होने तक फांसी देने की सजा मिलने पर शहर के चौराहों और गांव-गांव जाकर एलान करने, फांसी चढ़ाने के लिए जल्लाद का चयन करने, उसका पारिश्रमिक तय करने, फांसी वाले दिन की जानेवाली गतिविधियों का प्रावधान था। हालांकि, अब जेलों में जल्लाद की अवधारणा नहीं है। जेल के कर्मचारी सारी प्रक्रिया निपटा देते हैं। लेकिन नए जेल मैनुअल से इसे लिखित रूप में हटा दिया जाएगा। इसी तरह मौजूदा जेल मैनुअल में अनुशासनहीन कैदी को जंजीरों से बांधने और कोड़े से मारने की सजा का प्रावधान है। ये सजाएं भी अब व्यवहार में नहीं हैं, लेकिन इन्हें अब लिखित में हटा दिया जाएगा।
महाराष्ट्र की विभिन्न जेलों में कैदियों की दुर्दशा को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। महाराष्ट्र में २४ हजार ३० कैदियों की आधिकारिक क्षमता वाली ६० जेलें हैं। लेकिन अक्सर इन जेलों में कैदियों की संख्या पांच-छह गुना ज्यादा होती है। इससे कैदियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता है और जेलकर्मियों पर भी ड्यूटी का बोझ होता है। जेल-सुधार की मांग को गंभीरता से लेते हुए लगभग ४५ साल बाद अब महाराष्ट्र के जेल मैनुअल (नियमावली) में कुछ बड़े बदलाव होने जा रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, पुराने जेल मैनुअल में आवश्यक बदलाव को ध्यान में रखते हुए नया जेल मैनुअल तैयार करने के लिए अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) अमिताभ गुप्ता, उप महानिरीक्षक (जेल) योगेश देसाई और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के एक फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट, प्रयास के परियोजना निदेशक विजय राघवन सहित अन्य जेल अधिकारियों के साथ एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने प्रस्तावित जेल मैनुअल को कानून और न्यायपालिका मंत्रालय को सौंप दिया है। सरकार का अनुमोदन मिलते ही जेलों में नई नियमावली लागू की जाएगी। जेल विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, आजाद भारत में १९५५ में तत्कालीन बॉम्बे राज्य द्वारा जेल मैनुअल तैयार किया गया था, जिसमें जेल प्रशासन, उसके कर्मचारियों के साथ-साथ कैदियों के प्रबंधन पर निश्चित दिशाा-निर्देश शामिल थे। अब ४५ सालों बाद महाराष्ट्र के जेलों के लिए नई नियमावली लागू होगी।