आगामी दिनों में प्रधान संपादक श्रद्धेय श्री छोटे लाल शर्मा जी पितृ तीर्थ पर

मिर्जापुर: पितृ पक्ष के बारे में मान्‍यता है क‍ि यमराज भी इन दिनों पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं ताकि 16 दिनों तक वह अपने परिजनों के बीच रहकर अन्न और जल ग्रहण कर संतुष्ट हो सकें। पितृपक्ष को श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है, इस दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। पुराणों के अनुसार मृत्यु के बाद पिंडदान करना आत्मा की मोक्ष प्राप्ति का सहज और सरल मार्ग है।

पिंडदान देश के कई स्थानों पर किया जाता है, लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का एक अलग ही महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गया धाम में पिंडदान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है। गया में किए गए पिंडदान का गुणगान भगवान राम ने भी किया है। कहा जाता है कि इसी जगह पर भगवान राम और माता सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था। गरुड़ पुराण के अनुसार यदि इस स्थान पर पिंडदान किया जाए तो पितरों को स्वर्ग मिलता है। स्वयं श्रीहरि भगवान विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं, इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहा जाता है। इसी अभिलाषा से मुद्रित होकर हमारे हिंदी साप्ताहिक कदम कदम पर के प्रधान संपादक श्रद्धेय श्री छोटे लाल शर्मा जी ने अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए इस बार गया में पिंडदान करने का प्रण किया।

श्री छोटे लाल जी इस संकल्प को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विधि विधान से अपने पैतृक गांव में 14 से 20 सितंबर तक आठ ब्राह्मणों की देखरेख में पूजा का अनुष्ठान किया है जिसमें आठ ब्राह्मणों देव दूतों के माध्यम से विधिवत शांति पाठ और कई हजार मंत्र उच्चारण की गणना हेतु गौमुखी माला का जाप निरंतर किया जा रहा है।

कहते हैं कि कथा कल्पवृक्ष के समान है जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसी लाइन को चरितार्थ करते भक्तगण प्रतिदिन हरि स्मरण का आनंद और प्रसाद का लुफ्त उठा रहे हैं। श्री छोटेलाल जी ने सभी भक्तों के लिए प्रसाद स्वरूप मेवा, मिष्ठान, फल इत्यादि का प्रचुर मात्रा में इंतजाम किया है। अनुष्ठान समापन के तत्पश्चात प्रधान संपादक जी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चमेला देवी और परिजनों के साथ गया जी के लिए अविलंब रवाना हो जाएंगे। उनकी इस पितृ तीर्थ से उनके पितृ पूर्वजों का उद्धार हो ऐसी हिंदी साप्ताहिक कदम कदम परिवार कामना करता हैं।