पूर्व पुलिस कमिश्नर का था एनएसई के टॉप दागी अफसरों से गठजोड़, कर्मचारियों के फोन हुए थे टैप…

मुंबई : एनएसई सीओ रवि नारायण और एमडी चित्रा रामकृष्ण सहित एनएसई के पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने मुंबई के सेवानिवृत्त पुलिस आयुक्त संजय पांडे की बनाई कंपनी के लिए काम किया था। पांडे की कंपनी iSEC ने शेयर बाजार के कर्मचारियों के फोन अवैध रूप से इंटरसेप्ट किए। केंद्रीय गृह मंत्रालय के कहने पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआई ने शुक्रवार को 18 शहरों में तलाशी अभियान शुरू किया। अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने पांडे, उनकी दिल्ली स्थित कंपनी, एनएसई के पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण, सीईओ नारायण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि वाराणसी और प्रमुख (परिसर) महेश हल्दीपुर सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया है।
कई शहरों में सीबीआई की छापेमारी
एजेंसी ने कहा कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा पांच के तहत सक्षम प्राधिकारी से इस गतिविधि के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। इस मामले में एनएसई के कर्मचारियों की भी सहमति नहीं ली गई। एजेंसी ने iSEC सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन निदेशकों संतोष पांडे, आनंद नारायण, अरमान पांडे, मनीष मित्तल, पूर्व वरिष्ठ सूचना सुरक्षा विश्लेषक नमन चतुर्वेदी और अरुण कुमार सिंह को भी आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया है। उन्होंने बताया कि तलाशी अभियान मुंबई, पुणे, दिल्ली, लखनऊ, कोटा, चंडीगढ़ में चलाया गया जो शुक्रवार सुबह आरोपी के परिसरों में शुरू हुआ। कंपनी ने उस समय के आसपास ऑडिट किया था जब कथित तौर पर को-लोकेशन में गड़बड़ी हुई थी।
पांडे की कंपनी ने अवैध टैपिंग के लिए 4.45 करोड़ रुपये का भुगतान प्राप्त किया। आरोप है कि इसे एनएसई में साइबर कमजोरियों के आवधिक अध्ययन के रूप में छिपाया गया था। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने शेयर बाजार के वरिष्ठ प्रबंधन को टैप की गई बातचीत के टेप भी उपलब्ध कराए। सीबीआई के एक बयान में कहा गया है, एनएसई के शीर्ष अधिकारियों ने उक्त निजी कंपनी के पक्ष में समझौता और कार्य आदेश जारी किए और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन कर मशीनों को स्थापित करके अपने कर्मचारियों के फोन कॉल को अवैध रूप से इंटरसेप्ट किया।
पांडे ने मार्च 2001 में आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड शुरू करने के लिए पुलिस अधिकारी के रूप में इस्तीफा दे दिया था लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था और वे मई 2006 में कंपनी के निदेशक के रूप में पुलिस सेवा में लौट आए। उनके बेटे और मां ने बाद में कार्यभार संभाला।