चाइनीज झालर को देशी लालटेन’ से कड़ी टक्कर

मुंबई, दीपों का पर्व दिवाली नजदीक आ चुका है। ऐसे में दूसरों के घरों को रोशन करने के साथ ही अपने घर भी खुशियां लाने की उम्मीदों में कुम्हारों का चाक घूमना शुरू हो गया है। लोगों द्वारा बहिष्कार के आह्वान के बाद भी बाजार में चाइनीज झालर खूब दिख रहे हैं मगर इन्हें इस बार ‘देशी लालटेन’ से कड़ी टक्कर मिल रही है। ये लालटेन मिट्टी से कुम्हारों द्वारा बनाए जा रहे हैं।
धारावी में दीयों के बाजार भी सज चुके हैं। मिट्टी के दीयों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। बदलते ट्रेंड के साथ लोग स्वदेशी डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे हैं। इसी कारण कुम्हार दीये की अलग-अलग वैरायटी बनाने लगे हैं। इनकी डिमांड हर बार रहती है। मिट्टी की झालर, मिट्टी के लालटेन, लटकते दीये, पेड़ के आकार के दीये आदि कई तरह के दीये बाजार में आने को तैयार हैं। इसके अलावा देश में चाइनीज सामान के बहिष्कार ने इन कुम्हारों की उम्मीदें और बढ़ा दी हैं। दीप पर्व पर मिट्टी के दीयों से घर को रोशन करने की परंपरा सदियों पुरानी है। इसका अपना महत्व भी है। ऐसे में दिवाली के नजदीक आते ही कुम्हार दीये बनाने के काम में तेजी से जुट गए हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी दिवाली भी रोशन रहेगी। मिट्टी के दीपक, मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं। कोई मिट्टी गूंथने में लगा है तो किसी के हाथ चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं। बता दें कि धारावी के कुम्हारवाड़ा में करीब ४०० कुम्हारों के परिवारों का एक समुदाय है, जो १०० साल पहले गुजरात के प्रवासियों द्वारा बनाया गया था। सालभर वे पारंपरिक बर्तन, फूलदान, दीये और सजावटी सामान बनाते हैं। दिवाली कुम्हारों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है।
देश में पिछले कुछ वर्षों से स्वदेशी निर्मित उत्पादों के प्रयोग को लेकर कई स्वयंसेवी संगठन खड़े हुए हैं। रक्षाबंधन पर्व पर चाइनीज राखियों के विरोध का खासा असर दिखाई दिया था। इसके परिणाम स्वरूप स्वदेशी निर्मित उत्पादों की बिक्री में खासी बढ़ोतरी हुई थी। कुम्हार दिवाली में भी ऐसे ही स्वदेशी दीयों की अच्छी बिक्री की उम्मीद कर रहे हैं। इसी उम्मीद में कुम्हारों के चाक फिर से चल पड़े हैं। उन्हें उम्मीद है कि एक बार फिर से उनके अच्छे दिन लौटकर आएंगे। इसी उम्मीद में दीये तैयार करने का काम जोरों पर चल रहा है। धारावी में दीये बना रहे कुम्हार चेतन चौहान ने बताया कि दिवाली दीयों का त्योहार है, इसी उम्मीद के साथ उनकी चाक का पहिया घूमने लगा है। उम्मीद है कि इस बार मिट्टी के दीए ज्यादा बिकेंगे। इससे उनकी दिवाली भी पहले से बेहतर रहेगी।