भूमिपुत्रों का जंग का एलान! समंदर के तट पर मछुआरों व आदिवासियों का जनसैलाब

पालघर, पालघर जिले के डहाणू तालुका के वाढवण में प्रस्तावित बंदरगाह परियोजना के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करने वाले ‘डीटीईपीए’ (डहाणू तालुका पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण) के हालिया फैसले के बाद तटीय क्षेत्रों में सरकार के विरोध में भीषण आक्रोश भड़क उठा है। प्रस्तावित बंदरगाह के विरोध में कल रविवार को समंदर के तट पर मछुआरों व आदिवासियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। लोगों ने सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए तत्काल बंदरगाह के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है। बंदरगाह विरोधी संघर्ष समिति की अगुवाई में हजारों लोग समुद्र तट पर इकट्ठा हुए और परियोजना को रद्द करने की मांग की।
लोगों की सभा को संबोधित करते हुए पानेरी रेस्क्यू कमेटी के दीपक भंडारी ने कहा कि यह अपने अस्तित्व की लड़ाई है और सभी को इसे गंभीरता से लेते हुए इसे लड़ना चाहिए। लोक प्रहार एसोसिएशन के स्वप्निल तरे ने कहा कि केंद्र की इस कुटिल योजना को विफल करने के लिए भूमिपुत्र कमर कस कर खड़े हो गए हैं। वाढवन बंदरगाह का विरोध पिछले कई वर्षों से स्थानीय मछुआरे कर रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार के कदमों से हाल के दिनों में बंदरगाह को लेकर गतिविधियों ने फिर से जोर पकड़ लिया है। लेकिन वाढवण में बनने वाले बंदरगाह का लोग यह कह कर विरोध कर रहे हैं कि इसके निर्माण से लाखों लोगों का रोजगार छिन जाएगा।
बंदरगाह का लोग यह कह कर विरोध कर रहे हैं कि इसके निर्माण से लाखों मछुआरों सहित बड़ी संख्या में आदिवासियों और अन्य लोगों का रोजगार तो खत्म होगा ही, पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचेगा। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बंदरगाह बनाकर यहां के समुद्री संसाधन को नष्ट करने की योजना है। इस जगह पर कई दुर्लभ प्रजातियों की मछली और जैव विविधता पाई जाती है, इसलिए पर्यावरणविदों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से इसे समुद्री अभयारण्य घोषित करने के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं। विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि स्थानीय लोगों के विरोध को कुचलकर इस विनाशकारी परियोजना को थोपने का प्रयास किया जा रहा है।