महाराष्ट्र के नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख को एक और झटका, MLC चुनाव में भी नहीं मिली वोटिंग के लिए इजाजत

मुंबई : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख की एमएलसी चुनाव में वोटिंग के लिए इजाजत देने की गुहार ठुकरा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों नेताओं को वोटिंग के लिए रिलीज करने से मना कर दिया है। इससे पहले राज्यसभा चुनाव के लिए भी दोनों को राहत नहीं मिली थी। महाराष्ट्र में 10 एमएलसी सीटों के लिए मतदान जारी है।

शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह उस कानूनी प्रावधान की जांच करेगा जिसमें रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट की धारा-62 (5) के तहत प्रावधान है कि जेल में बंद शख्स को वोटिंग का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट ने पहले अनुकूल चंद्र प्रधान केस में सही ठहराया हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोमवार को हो रहे एमएलसी चुनाव में दोनों नेताओं को राहत नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि उन्हें एमएलसी चुनाव में वोटिंग के लिए अस्थायी तौर पर जेल से रिलीज किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की गई।

याचिकाकर्ताओं ने पहले इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था लेकिन 17 जून को हाई कोर्ट से रिलीफ नहीं मिलने पर दोनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। दोनों के खिलाफ ईडी ने अलग-अलग केस दर्ज कर रखे हैं और दोनों महाराष्ट्र के जेल में बंद हैं। मलिक अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं जबकि देशमुख राज्य के पूर्व गृह मंत्री हैं।

दोनों की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया था कि राज्य में एमएलसी चुनाव है और उसमें वोटिंग के लिए उन्हें रिहाई होनी चाहिए। अपने वोटिंग अधिकार की मांग करते हुए दोनों की ओर से हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रिलीफ नहीं दी।