पुरानी फ़िल्मों में क्यों होते थे कैबरे डांस?

“लेडीज़ एंड जेंटलमैन, जिस प्रोग्राम का आपको इंतज़ार था वो अब शुरू होता है. दिल थाम कर बैठिए, पेशे ख़िदमत है हिंदुस्तान की मशहूर कैबरे डांसर. वन एंड दो ओनली वन… मोनिका.”

1971 में आई फ़िल्म कारवां का ये डायलॉग बताता है कि फ़िल्मों में किस शाही अंदाज़ में हेलेन और उनके कैबरे डांस का इंट्रोडक्शन किया जाता था. इस परिचय के बाद फ़िल्म में आता है हेलेन का वो कैबरे जो आज भी डांस पार्टियों की जान है- ‘पिया तू…अब तो आजा’.

ऋचा चड्ढा और क्रिकेटर श्रीसंत की नई फ़िल्म कैबरे में ऋचा कैबरे डांसर का रोल कर रही हैं. हिंदी सिनेमा में 50 और 60 के दशक में कैबरे डांस का होना लाज़िमी था.

हेलेन, जयश्री टी, बिंदू, अरुणा ईरानी, पदमा खन्ना – ये सब ऐसी कलाकार रहीं जो फ़िल्मों में कैबरे करके मशहूर हुईं.

कैबरे पर नज़र डालें तो हिंदी फ़िल्मों में हेलेन से भी पहले एंगलो-इंडियन मूल की कुकु 40 और 50 के दशक में अपने डांस के लिए ख़ूब मशहूर हुईं- चाहे वो राज कपूर की आवारा और बरसात हो या महबूब ख़ान की आन.

संगीत से जुड़ी बेबसाइट द सॉन्गपीडिया की संस्थापक दीपा याद दिलाती हैं कि गीता दत्त की आवाज़ और ओपी नैयर के संगीत में ‘मिस्टर एंड मिसेज़ 55’ का एक गाना – ‘नीले आसामनी, बूझो तो ये नैना बाबू किसके लिए हैं’.

इस गाने में यूँ तो मधुबाला है लेकिन गाने में कैबरे करती कुकु की मौजूदगी कम दिलकश नहीं.

कैबरे क्वीन हेलेन

कुकु ने ही हेलेन को फ़िल्मों में काम दिलवाया जब हेलेन सिर्फ़ 12 -13 साल की थीं. हेलेन कुकु के पीछे कोरस में डांस किया करती थी.

कुकु की शागिर्दी में हेलेन सबसे मशहूर कैबरे डांसर बनकर उभरीं.

चाहे 1969 में क्लब डांसर रीटा के तौर पर हल्के-फुल्के अंदाज़ में गाती ‘करले प्यार करले कि दिन है यही’ वाली हेलेन हों,

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